⌚घड़ीसाज़ का रहस्य //hindi story moral story
घड़ीसाज़ का रहस्य
एलियास एक बुज़ुर्ग घड़ीसाज़ था, जो एक छोटी सी दुकान में रहता था जहाँ हर कोने से टिक-टिक की आवाज़ आती थी। उसकी उंगलियाँ बूढ़ी थीं, लेकिन इतनी सधी हुईं कि सबसे जटिल घड़ी भी ठीक कर सकती थीं। लेकिन एलियास के पास एक रहस्य था — एक ऐसी घड़ी, जिसे वह सिर्फ रात में बनाता था। वह कोई आम घड़ी नहीं थी। उसे वह “क्रोनोस-कीपर” कहता था।
एलीयस का मानना था कि समय सिर्फ टिकने का नाम नहीं, बल्कि पल-पल के जज़्बातों का नाम है — हँसी, आँसू, प्यार, पछतावा। वह उन पलों को कैद करना चाहता था जो ज़िंदगी को खास बनाते हैं। वह घड़ी उन पलों की यादों को सहेज सकती थी — जैसे गर्मियों की बारिश की खुशबू या किसी की हँसी की हल्की झलक।
एक तूफानी रात, एक लड़की, क्लारा, रोती हुई उसकी दुकान में आई। उसके हाथ में एक टूटी हुई पॉकेट वॉच थी। “कृपया, मास्टर एलियास,” उसने कहा, “यह मेरी दादी की घड़ी है, और यह उसी वक्त बंद हो गई जब वह हमें छोड़ गईं।”
एलियास ने घड़ी को देखा और क्लारा की आँखों में दुख। वह समझ गया कि यह सिर्फ घड़ी नहीं, एक बेशकीमती याद है। उसने कहा, “तीन दिन बाद आना।”
उस रात, उसने क्रोनोस-कीपर छोड़ क्लारा की घड़ी पर काम किया। उसने हर पुर्ज़े को साफ किया, हर जंग को हटाया। और फिर क्रोनोस-कीपर से एक खास पल — क्लारा के दर्द, उसकी याद और उसकी उम्मीद — को उस घड़ी में पिरो दिया।
तीन दिन बाद जब क्लारा आई, एलियास ने उसे घड़ी दी। जैसे ही उसने घड़ी पकड़ी, एक हल्की गर्माहट उसके हाथों से होकर उसके दिल तक पहुँची। उसे लगा जैसे उसकी दादी वहीं हों — एक कोमल सी उपस्थिति। उसकी आँखें भर आईं, लेकिन चेहरे पर मुस्कान थी।
“ये... बिल्कुल वैसी ही है जैसी मुझे चाहिए थी,” क्लारा ने कहा।
एलियास ने समझा — सबसे अनमोल पल परफेक्ट नहीं होते, बल्कि वही होते हैं जिनमें दिल की सच्चाई होती है।
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