⛷️बच्चों की प्यारी कहानियाँ ://: कहानियों का गुलदस्ता
नन्हे मुन्नों का कोना: बच्चों की प्यारी कहानियाँ
जहाँ हर कहानी एक नया दोस्त है!
कहानियों का गुलदस्ता
1. नन्हा खरगोश और समझदार कछुआ
एक घने जंगल में, एक नन्हा खरगोश रहता था जिसका नाम फुर्ती था। फुर्ती बहुत तेज़ दौड़ता था और उसे अपनी गति पर बहुत गर्व था। उसी जंगल में एक कछुआ भी रहता था जिसका नाम धीरज था। धीरज बहुत शांत और धीमा था, लेकिन वह हमेशा अपने काम में लगा रहता था। एक दिन फुर्ती ने धीरज का मज़ाक उड़ाया, "अरे धीरज, तुम इतनी धीमी गति से क्यों चलते हो? क्या तुम कभी कहीं पहुँच पाओगे?" धीरज ने मुस्कुराते हुए कहा, "हो सकता है, फुर्ती। लेकिन धीरे-धीरे ही सही, मैं अपनी मंज़िल तक ज़रूर पहुँचता हूँ।" फुर्ती ने धीरज को दौड़ने की चुनौती दी। धीरज मान गया। दौड़ शुरू हुई और फुर्ती तेज़ी से भागा, लेकिन अपनी तेज़ी पर घमंड करते हुए, वह रास्ते में एक पेड़ के नीचे सो गया। धीरज धीरे-धीरे चलता रहा, बिना रुके, और अंततः दौड़ जीत गया। फुर्ती को अपनी गलती का एहसास हुआ और उसने सीखा कि **घमंड अच्छा नहीं होता और धीमी गति से भी जीत हासिल की जा सकती है, अगर हम निरंतर प्रयास करते रहें।**
2. लालची कुत्ता और रोटी का टुकड़ा
एक बार की बात है, एक लालची कुत्ता था जिसका नाम टॉमी था। एक दिन उसे कहीं से एक रोटी का बड़ा टुकड़ा मिला। वह बहुत खुश हुआ और उसे लेकर एक शांत जगह पर खाने के लिए चल दिया। रास्ते में उसे एक नदी पार करनी पड़ी। जब वह पुल पर चल रहा था, तो उसने पानी में अपनी परछाई देखी। उसे लगा कि पानी में एक और कुत्ता है जिसके पास उससे भी बड़ा रोटी का टुकड़ा है। टॉमी ने सोचा, "अगर मैं उस कुत्ते की रोटी भी छीन लूँ तो मेरे पास बहुत सारी रोटी हो जाएगी!" बिना सोचे-समझे, उसने अपनी रोटी का टुकड़ा मुँह से छोड़कर पानी में कूद गया, यह सोचकर कि वह दूसरे कुत्ते की रोटी छीन लेगा। लेकिन जैसे ही उसने कुलाँचे मारी, उसकी अपनी रोटी पानी में गिर गई और बह गई। उसे अपनी गलती का एहसास हुआ कि **लालच हमेशा बुरा होता है और जो हमारे पास है, हमें उसी से संतुष्ट रहना चाहिए।**
3. प्यासा कौआ
गर्मी का दिन था। एक कौआ बहुत प्यासा था और पानी की तलाश में इधर-उधर उड़ रहा था। बहुत देर तक उड़ने के बाद, उसे एक घड़े में थोड़ा सा पानी दिखा। वह बहुत खुश हुआ, लेकिन जब वह पानी पीने के लिए नीचे उतरा, तो उसने देखा कि पानी इतना कम था कि उसकी चोंच वहाँ तक नहीं पहुँच पा रही थी। कौआ उदास हो गया, लेकिन उसने हार नहीं मानी। उसने सोचा और फिर उसे एक तरकीब सूझी। उसने आस-पास से छोटे-छोटे कंकड़ इकट्ठे किए और उन्हें एक-एक करके घड़े में डालना शुरू किया। जैसे-जैसे कंकड़ घड़े में गिरते गए, पानी का स्तर ऊपर उठता गया। थोड़ी ही देर में पानी इतना ऊपर आ गया कि कौआ आसानी से पानी पी सका और अपनी प्यास बुझा सका। इस कहानी से हमें सीख मिलती है कि **कठिन परिस्थितियों में हमें कभी हिम्मत नहीं हारनी चाहिए और अपनी बुद्धि का इस्तेमाल करके समाधान खोजना चाहिए।**
4. चालाक लोमड़ी और अंगूर
एक बार एक चालाक लोमड़ी थी जो बहुत भूखी थी। वह जंगल में खाने की तलाश में घूम रही थी। घूमते-घूमते वह एक अंगूर के बाग में पहुँची। वहाँ उसने देखा कि बेल पर रसीले और पके हुए अंगूर लटक रहे थे। लोमड़ी के मुँह में पानी आ गया। उसने कई बार उछलकर अंगूरों तक पहुँचने की कोशिश की, लेकिन अंगूर बहुत ऊँचाई पर थे और वह उन तक पहुँच नहीं पाई। बहुत कोशिश करने के बाद जब वह थक गई और अंगूरों तक नहीं पहुँच पाई, तो उसने कहा, "ये अंगूर तो खट्टे हैं, मैं इन्हें नहीं खाऊँगी।" यह कहकर वह वहाँ से चली गई। इस कहानी से हमें यह सीखने को मिलता है कि **जब हम किसी चीज़ को पाने में असफल हो जाते हैं, तो हम अक्सर उसकी कमियाँ निकालने लगते हैं ताकि अपनी असफलता को छुपा सकें।**
5. बिल्ली और बंदर
एक गाँव में एक बिल्ली और एक बंदर रहते थे। दोनों बहुत अच्छे दोस्त थे। एक दिन दोनों ने मिलकर एक रोटी चुराई। बिल्ली ने रोटी को दो हिस्सों में बांटने की कोशिश की, लेकिन बंदर चालाक था। उसने कहा, "मैं इस रोटी को बराबर-बराबर बांटता हूँ।" बंदर ने रोटी के एक हिस्से को जानबूझकर बड़ा कर दिया। जब बिल्ली ने कहा कि एक हिस्सा बड़ा है, तो बंदर ने उसमें से थोड़ा सा टुकड़ा तोड़कर खा लिया। फिर उसने दूसरे हिस्से को बड़ा कर दिया और फिर उसमें से भी खा लिया। ऐसा करते-करते बंदर ने पूरी रोटी खुद ही खा ली और बिल्ली को कुछ नहीं मिला। इस कहानी से हमें सीख मिलती है कि **हमें अजनबियों पर आसानी से भरोसा नहीं करना चाहिए और अपनी चीज़ों का ध्यान खुद रखना चाहिए।**
6. किसान और उसके चार बेटे
एक बूढ़ा किसान था जिसके चार बेटे थे। वे आपस में हमेशा लड़ते रहते थे। किसान बहुत चिंतित था और चाहता था कि वे एकजुट रहें। एक दिन, उसने अपने बेटों को बुलाया और उन्हें एक-एक लकड़ी का गट्ठर लाने को कहा। जब वे गट्ठर लेकर आए, तो किसान ने उनसे कहा कि वे एक-एक लकड़ी को तोड़कर दिखाएँ। बेटों ने आसानी से लकड़ियाँ तोड़ दीं। फिर किसान ने उनसे लकड़ियों का एक बड़ा गट्ठर तोड़ने को कहा। बेटों ने बहुत कोशिश की, लेकिन वे गट्ठर को तोड़ नहीं पाए। किसान ने कहा, "देखो बच्चों, जब तुम अकेले थे, तो तुम्हें तोड़ना आसान था, लेकिन जब तुम एक साथ हो, तो तुम्हें कोई तोड़ नहीं सकता। **एकता में ही शक्ति है।**" बेटों को अपनी गलती का एहसास हुआ और उन्होंने मिलकर रहने का वादा किया।
7. शेर और चूहा
एक जंगल में एक बड़ा शेर सो रहा था। तभी एक छोटा चूहा उसके ऊपर से दौड़ता हुआ निकल गया। शेर जाग गया और बहुत गुस्सा हुआ। उसने चूहे को पकड़ लिया और उसे मारने वाला था। चूहे ने विनती की, "हे वनराज! मुझे छोड़ दो। हो सकता है कि किसी दिन मैं तुम्हारे काम आ सकूँ।" शेर हँसा और सोचा कि इतना छोटा चूहा उसके क्या काम आएगा। लेकिन फिर भी उसने चूहे को छोड़ दिया। कुछ दिनों बाद, शेर एक शिकारी के जाल में फँस गया। वह बहुत चिल्लाया, लेकिन कोई उसकी मदद के लिए नहीं आया। तभी वही चूहा वहाँ आया और उसने अपने पैने दाँतों से जाल को काट दिया। शेर आज़ाद हो गया। शेर को अपनी गलती का एहसास हुआ और उसने चूहे का धन्यवाद किया। इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि **किसी को भी छोटा नहीं समझना चाहिए और हमेशा दूसरों की मदद करनी चाहिए, क्योंकि कौन कब काम आ जाए, यह कोई नहीं जानता।**
8. लोमड़ी और सारस
एक लोमड़ी और एक सारस दोस्त थे। लोमड़ी बहुत चालाक थी और सारस को परेशान करने में मज़ा आता था। एक दिन लोमड़ी ने सारस को अपने घर खाने पर बुलाया। उसने सूप एक सपाट थाली में परोसा। सारस की लंबी चोंच थी, इसलिए वह थाली से सूप नहीं पी सका। लोमड़ी ने सारा सूप खुद पी लिया और सारस को भूखा लौटना पड़ा। सारस को बहुत बुरा लगा। कुछ दिनों बाद, सारस ने लोमड़ी को अपने घर खाने पर बुलाया। उसने खाने के लिए मछली एक लंबी गर्दन वाले सुराही में परोसी। सारस अपनी लंबी चोंच से आसानी से मछली खा सका, लेकिन लोमड़ी का मुँह सुराही में नहीं पहुँच पाया। लोमड़ी को अपनी गलती का एहसास हुआ और उसने माफी माँगी। इस कहानी से हमें सीख मिलती है कि **जैसे को तैसा मिलता है और हमें दूसरों के साथ वैसा ही व्यवहार करना चाहिए जैसा हम खुद के साथ चाहते हैं।**
9. हवा और सूरज
एक बार हवा और सूरज आपस में बहस कर रहे थे कि उनमें से कौन ज़्यादा शक्तिशाली है। तभी उन्होंने एक आदमी को देखा जो सड़क पर एक कोट पहने चल रहा था। हवा ने कहा, "मैं इस आदमी का कोट आसानी से उतरवा सकती हूँ।" सूरज ने कहा, "देखते हैं।" हवा ने अपनी पूरी ताक़त से चलना शुरू किया। जितनी तेज़ हवा चलती, आदमी उतना ही कसकर अपना कोट पकड़ता। अंत में, हवा थक गई और हार मान ली। फिर सूरज ने मुस्कुराते हुए अपनी गर्मी बढ़ानी शुरू की। जैसे ही सूरज की गर्मी बढ़ी, आदमी को पसीना आने लगा और उसने अपना कोट उतार दिया। सूरज ने कहा, "देखा! **शक्ति हमेशा ज़ोर-ज़बरदस्ती में नहीं होती, बल्कि प्यार और नरमी में भी होती है।**" इस कहानी से हमें सीख मिलती है कि विनम्रता और प्रेम से हम वो काम भी कर सकते हैं जो बल से नहीं हो सकते।
10. दो दोस्त और भालू
दो दोस्त जंगल से गुज़र रहे थे। उन्होंने एक-दूसरे से वादा किया था कि वे हमेशा एक-दूसरे का साथ देंगे। तभी उन्होंने एक भालू को अपनी ओर आते देखा। एक दोस्त, जो पेड़ पर चढ़ना जानता था, तुरंत एक पेड़ पर चढ़ गया। दूसरा दोस्त, जिसे पेड़ पर चढ़ना नहीं आता था, डर गया। उसे याद आया कि भालू मरे हुए लोगों को नहीं खाते। इसलिए वह ज़मीन पर लेट गया और अपनी साँस रोक ली, जैसे वह मर गया हो। भालू उसके पास आया, उसे सूंघा और चला गया क्योंकि उसे लगा कि वह मरा हुआ है। जब भालू चला गया, तो पेड़ पर चढ़ा दोस्त नीचे आया और अपने दोस्त से पूछा, "भालू ने तुम्हारे कान में क्या कहा?" दोस्त ने जवाब दिया, "उसने कहा कि **जो दोस्त मुश्किल समय में तुम्हारा साथ छोड़ दे, वह सच्चा दोस्त नहीं होता।**" इस कहानी से हमें सीख मिलती है कि सच्चा दोस्त वही है जो मुश्किल समय में साथ दे।
11. चींटी और टिड्डा
गर्मी के मौसम में, एक मेहनती चींटी दिन भर खाना इकट्ठा करती थी और उसे अपने बिल में जमा करती थी। वहीं एक आलसी टिड्डा दिन भर गाना गाता और मज़ा करता था। टिड्डा चींटी का मज़ाक उड़ाता था कि वह इतनी मेहनत क्यों करती है। चींटी उससे कहती, "सर्दी आने वाली है, उस समय खाने की कमी होगी।" लेकिन टिड्डा उसकी बात नहीं सुनता। जब सर्दी आई, तो चारों ओर बर्फ गिर गई और टिड्डे को कहीं खाना नहीं मिला। वह भूख से मरने लगा। तभी उसे चींटी याद आई। वह उसके पास गया और मदद माँगी। चींटी ने अपनी मेहनत से जमा किया हुआ खाना उसे दिया। टिड्डे को अपनी गलती का एहसास हुआ और उसने वादा किया कि वह अब से मेहनत करेगा। इस कहानी से हमें सीख मिलती है कि **हमें भविष्य के लिए योजना बनानी चाहिए और मेहनत से काम करना चाहिए।**
12. भेड़िये और सात बकरियाँ
एक बार एक बकरी के सात बच्चे थे। एक दिन माँ बकरी को जंगल से खाना लेने जाना था। उसने अपने बच्चों को समझाया कि वे दरवाज़ा किसी भी अजनबी के लिए न खोलें। उसने उनसे कहा कि भेड़िये की आवाज़ मोटी होती है और उसके पंजे काले होते हैं। माँ बकरी के जाने के बाद, भेड़िया आया और उसने दरवाज़ा खटखटाया। उसने अपनी आवाज़ पतली करने की कोशिश की, लेकिन बच्चे समझ गए कि वह भेड़िया है। भेड़िया चला गया और उसने अपनी आवाज़ पतली करने के लिए कुछ खाया और अपने पंजों पर आटा लगा लिया। जब वह दोबारा आया, तो बच्चों को लगा कि यह उनकी माँ है और उन्होंने दरवाज़ा खोल दिया। भेड़िया अंदर आ गया और उसने छह बकरियों को खा लिया। सिर्फ़ एक सबसे छोटा बच्चा बचा जो छिप गया था। जब माँ बकरी वापस आई, तो उसे सब पता चला। उसने भेड़िये को ढूँढ़ा और सभी बच्चों को बचा लिया। इस कहानी से हमें सीख मिलती है कि **हमें हमेशा अपने बड़ों की बात माननी चाहिए और अजनबियों से सावधान रहना चाहिए।**
13. गधा और नमक
एक व्यापारी के पास एक गधा था जो रोज़ाना नमक की बोरियाँ ढोता था। एक दिन नदी पार करते समय गधा फिसल गया और पानी में गिर गया। जब वह उठा, तो उसने देखा कि नमक पानी में घुल गया है और बोरियाँ हल्की हो गई हैं। गधा बहुत खुश हुआ। अगले दिन उसने जानबूझकर फिर से नदी में गिरने का नाटक किया। इस बार भी बोरियाँ हल्की हो गईं। व्यापारी समझ गया कि गधा चालाकी कर रहा है। अगले दिन व्यापारी ने नमक की जगह रुई की बोरियाँ लाद दीं। जब गधा फिर से नदी में गिरा, तो रुई पानी सोखकर बहुत भारी हो गई। गधा उसे उठा नहीं पाया। उसे अपनी गलती का एहसास हुआ और उसने कभी भी चालाकी नहीं की। इस कहानी से हमें सीख मिलती है कि **चालाकी का फल हमेशा अच्छा नहीं होता और हमें ईमानदारी से काम करना चाहिए।**
14. जादूगर की टोपी
एक गाँव में एक छोटा बच्चा रहता था जिसका नाम राजू था। राजू को जादू बहुत पसंद था। एक दिन उसे जंगल में एक पुरानी टोपी मिली। जैसे ही उसने वह टोपी पहनी, उसे लगा कि उसमें कुछ खास है। उसने सोचा कि यह ज़रूर किसी जादूगर की टोपी है। जब वह टोपी पहनकर कुछ भी सोचता, तो वह चीज़ सच हो जाती। राजू ने सोचा कि उसके पास बहुत सारी चॉकलेट आ जाएँ। और सचमुच, देखते ही देखते उसके सामने चॉकलेट का ढेर लग गया। राजू ने सोचा कि उसके खिलौने खुद-ब-खुद चलने लगें, और ऐसा ही हुआ। राजू बहुत खुश हुआ, लेकिन उसने यह भी समझा कि इस जादू का सही इस्तेमाल करना चाहिए। उसने अपनी टोपी का इस्तेमाल गाँव के लोगों की मदद करने के लिए किया और सभी उसे पसंद करने लगे। इस कहानी से हमें सीख मिलती है कि **शक्ति का सही इस्तेमाल करना चाहिए और दूसरों की भलाई के लिए उसका उपयोग करना चाहिए।**
15. सोने का अंडा देने वाली मुर्गी
एक गरीब किसान और उसकी पत्नी के पास एक मुर्गी थी जो रोज़ एक सोने का अंडा देती थी। वे हर दिन एक अंडा बेचते और खुशी-खुशी रहते थे। लेकिन एक दिन, किसान की पत्नी ने सोचा, "अगर हम मुर्गी का पेट काट दें, तो हमें सारे अंडे एक साथ मिल जाएँगे और हम अमीर हो जाएँगे।" किसान पहले तो मना करता रहा, लेकिन पत्नी के कहने पर वह मान गया। उन्होंने मुर्गी का पेट काटा, लेकिन उन्हें एक भी सोने का अंडा नहीं मिला। मुर्गी भी मर गई। वे बहुत दुखी हुए और उन्होंने अपनी मूर्खता पर पछतावा किया। इस कहानी से हमें सीख मिलती है कि **लालच हमेशा बुरा होता है और हमें धैर्य रखना चाहिए तथा जो हमारे पास है, उसी से संतुष्ट रहना चाहिए।**
16. लोमड़ी और कौआ
एक कौए को कहीं से रोटी का एक टुकड़ा मिला। वह उसे लेकर एक पेड़ की डाल पर जा बैठा। तभी एक लोमड़ी वहाँ से गुज़री। उसकी नज़र कौए की चोंच में दबे रोटी के टुकड़े पर पड़ी। लोमड़ी बहुत चालाक थी। उसने सोचा कि किसी तरह कौए से वह रोटी का टुकड़ा छीन लिया जाए। लोमड़ी ने कौए से कहा, "अरे कौए भाई, तुम कितने सुंदर हो! तुम्हारी आवाज़ भी बहुत मीठी है। क्या तुम मुझे एक गाना सुनाओगे?" कौआ अपनी तारीफ़ सुनकर फूला नहीं समाया। वह गाना गाने के लिए जैसे ही चोंच खोली, रोटी का टुकड़ा नीचे गिर गया। लोमड़ी ने झट से वह टुकड़ा उठाया और खा लिया। कौए को अपनी मूर्खता पर पछतावा हुआ। इस कहानी से हमें सीख मिलती है कि **चापलूसी से सावधान रहना चाहिए और अपनी चीज़ों का ध्यान रखना चाहिए।**
17. एक शेर और तीन बैल
एक जंगल में तीन बैल रहते थे जो बहुत अच्छे दोस्त थे। वे हमेशा एक साथ रहते थे और कोई भी जानवर उन पर हमला करने की हिम्मत नहीं करता था। एक चालाक शेर उन्हें खाना चाहता था, लेकिन उनकी एकता के कारण वह ऐसा नहीं कर पाता था। शेर ने एक योजना बनाई। वह एक-एक बैल के पास गया और दूसरे दो बैलों के खिलाफ भड़काया। धीरे-धीरे, बैलों में आपस में दरार पड़ गई और वे अलग-अलग रहने लगे। जब वे अलग हो गए, तो शेर ने एक-एक करके तीनों बैलों को मार डाला और खा लिया। इस कहानी से हमें सीख मिलती है कि **एकता में शक्ति होती है और अगर हम एकजुट रहें तो कोई भी हमें नुकसान नहीं पहुँचा सकता। फूट डालो और राज करो की नीति से हमें बचना चाहिए।**
18. लालची बगुला
एक बार एक तालाब के किनारे एक बगुला रहता था। वह बहुत आलसी था और शिकार करने में बहुत मेहनत नहीं करना चाहता था। उसने सोचा कि वह कोई आसान तरीका ढूँढेगा। एक दिन उसने देखा कि मछलियाँ तालाब से बाहर निकलकर पास के दलदल में जा रही हैं। बगुले ने एक चाल चली। उसने मछलियों से कहा कि तालाब सूखने वाला है और उन्हें कहीं और जाना होगा। मछलियाँ डर गईं। बगुले ने कहा कि वह उन्हें अपनी चोंच में एक-एक करके सुरक्षित स्थान पर पहुँचा सकता है। मछलियाँ उसकी बात मान गईं। बगुला उन्हें एक-एक करके ले जाता और रास्ते में ही खा जाता। जब सारी मछलियाँ खत्म हो गईं, तो बगुले ने देखा कि उसे खाने को कुछ नहीं बचा। इस कहानी से हमें सीख मिलती है कि **लालच और धोखेबाजी का अंत हमेशा बुरा होता है।**
19. बंदर और मगरमच्छ
एक नदी के किनारे एक बंदर रहता था और नदी में एक मगरमच्छ। दोनों बहुत अच्छे दोस्त थे। बंदर रोज़ मगरमच्छ को मीठे फल देता था और मगरमच्छ उसे अपनी पीठ पर बैठाकर नदी की सैर करवाता था। एक दिन मगरमच्छ की पत्नी को बंदर का कलेजा खाने की इच्छा हुई। उसने मगरमच्छ से कहा कि उसे बंदर का कलेजा चाहिए। मगरमच्छ पहले तो मना करता रहा, लेकिन पत्नी के दबाव में वह मान गया। मगरमच्छ ने बंदर से कहा कि उसकी पत्नी उससे मिलना चाहती है और उसे नदी के बीच में एक टापू पर ले गया। बीच रास्ते में उसने बंदर को सच बताया। बंदर चालाक था। उसने कहा, "मेरा कलेजा तो पेड़ पर रखा है। अगर तुमने मुझे पहले बताया होता तो मैं उसे ले आता।" मगरमच्छ बंदर को वापस पेड़ पर ले आया। जैसे ही बंदर पेड़ पर कूदा, वह मगरमच्छ से बच गया। इस कहानी से हमें सीख मिलती है कि **बुद्धि हमेशा बल से बड़ी होती है और हमें मुश्किल समय में धैर्य से काम लेना चाहिए।**
20. तीन मछलियाँ
एक तालाब में तीन मछलियाँ रहती थीं - एक समझदार, एक तुरंत फैसले लेने वाली और एक आलसी। एक दिन उन्होंने मछुआरों को तालाब के पास आते देखा। समझदार मछली ने कहा कि हमें तुरंत यहाँ से चले जाना चाहिए। तुरंत फैसले लेने वाली मछली ने कहा कि अगर कोई परेशानी आएगी तो वह उसका सामना करेगी। आलसी मछली ने कुछ नहीं किया। मछुआरे अगले दिन आए और उन्होंने जाल डाला। समझदार मछली तुरंत पास की नहर में तैरकर चली गई। तुरंत फैसले लेने वाली मछली ने खुद को मरा हुआ दिखाने का नाटक किया और मछुआरों ने उसे फेंक दिया। आलसी मछली जाल में फँस गई और पकड़ी गई। इस कहानी से हमें सीख मिलती है कि **दूरदर्शिता और तुरंत फैसले लेने की क्षमता हमें मुश्किलों से बचा सकती है, जबकि आलस्य हमें मुसीबत में डाल सकता है।**
21. चूहे और हाथी
एक जंगल में बहुत सारे चूहे रहते थे। एक दिन हाथियों का एक झुंड उनके रहने की जगह से गुज़रा और कई चूहों को कुचल दिया। चूहों के राजा ने हाथियों के राजा से विनती की कि वे अपना रास्ता बदल लें ताकि चूहों को नुकसान न हो। हाथियों के राजा ने कहा कि छोटे चूहे उनके क्या काम आ सकते हैं, लेकिन फिर भी वे मान गए। कुछ दिनों बाद, हाथियों का झुंड एक जाल में फँस गया। हाथी बहुत शक्तिशाली थे, लेकिन वे जाल तोड़ नहीं पा रहे थे। तभी चूहों का राजा वहाँ आया और उसने अपने चूहों से जाल को कुतरने को कहा। चूहों ने जाल काट दिया और हाथियों को आज़ाद कर दिया। हाथियों के राजा को अपनी गलती का एहसास हुआ कि **कोई भी जीव छोटा नहीं होता और हमें कभी किसी को कम नहीं आंकना चाहिए।**
22. चिड़िया और उसके बच्चे
एक खेत में एक चिड़िया रहती थी जिसके छोटे-छोटे बच्चे थे। खेत का मालिक फसल काटने वाला था। चिड़िया अपने बच्चों को समझाती थी कि जैसे ही मालिक फसल काटने की बात करे, उन्हें तुरंत कहीं और चले जाना चाहिए। एक दिन मालिक ने कहा कि वह अपने दोस्तों को फसल काटने के लिए बुलाएगा। चिड़िया ने अपने बच्चों से कहा कि अभी चिंता की कोई बात नहीं है। अगले दिन मालिक ने कहा कि वह अपने रिश्तेदारों को बुलाएगा। चिड़िया ने फिर कहा कि कोई खतरा नहीं है। लेकिन जब मालिक ने कहा कि वह खुद ही फसल काटेगा, तो चिड़िया ने अपने बच्चों से कहा कि अब हमें तुरंत यहाँ से चले जाना चाहिए। चिड़िया सही थी क्योंकि जब कोई काम खुद करने का फैसला करता है, तभी वह काम पूरा होता है। इस कहानी से हमें सीख मिलती है कि **अपनी मदद हमें खुद करनी चाहिए और दूसरों पर निर्भर नहीं रहना चाहिए।**
23. खरगोश और लोमड़ी
एक खरगोश और एक लोमड़ी जंगल में रहते थे। खरगोश बहुत डरपोक था और लोमड़ी बहुत चालाक। एक दिन खरगोश को एक स्वादिष्ट गाजर मिली। लोमड़ी ने उसे देखा और सोचा कि वह गाजर खरगोश से छीन ले। लोमड़ी ने खरगोश से कहा, "अरे खरगोश, तुम इतनी धीमी गति से क्यों दौड़ते हो? मैं तुमसे ज़्यादा तेज़ी से दौड़ सकती हूँ।" खरगोश को गुस्सा आया और उसने लोमड़ी को दौड़ने की चुनौती दी। दौड़ शुरू हुई और खरगोश तेज़ी से भागा। लोमड़ी ने सोचा कि वह आसानी से जीत जाएगी और रास्ते में रुककर आराम करने लगी। खरगोश बिना रुके दौड़ता रहा और दौड़ जीत गया। लोमड़ी को अपनी हार पर पछतावा हुआ। इस कहानी से हमें सीख मिलती है कि **छोटी गति से भी सफलता मिल सकती है, अगर हम निरंतर प्रयास करते रहें और दूसरों की बातों में न आएँ।**
24. लकड़हारा और उसकी कुल्हाड़ी
एक गरीब लकड़हारा एक नदी के किनारे पेड़ काट रहा था। अचानक उसकी कुल्हाड़ी नदी में गिर गई। लकड़हारा बहुत दुखी हुआ क्योंकि वह गरीब था और उसके पास दूसरी कुल्हाड़ी खरीदने के पैसे नहीं थे। वह रोने लगा। तभी जलपरी नदी से निकली और उससे रोने का कारण पूछा। लकड़हारे ने उसे सब बताया। जलपरी ने नदी में डुबकी लगाई और एक सोने की कुल्हाड़ी लेकर आई और पूछा कि क्या यह उसकी है। लकड़हारे ने कहा, "नहीं, यह मेरी नहीं है।" जलपरी ने फिर डुबकी लगाई और एक चाँदी की कुल्हाड़ी लेकर आई। लकड़हारे ने फिर मना कर दिया। तीसरी बार जलपरी उसकी असली लोहे की कुल्हाड़ी लेकर आई। लकड़हारे ने खुशी-खुशी उसे पहचान लिया। जलपरी लकड़हारे की ईमानदारी से बहुत प्रभावित हुई और उसने उसे तीनों कुल्हाड़ियाँ दे दीं। इस कहानी से हमें सीख मिलती है कि **ईमानदारी सबसे अच्छी नीति है और हमें हमेशा सच बोलना चाहिए।**
25. दो बकरियाँ
एक बार एक संकरी पुलिया थी जो एक गहरी नदी पर बनी थी। एक बकरी एक तरफ से आ रही थी और दूसरी बकरी दूसरी तरफ से। पुलिया इतनी संकरी थी कि केवल एक ही बकरी एक बार में पार कर सकती थी। दोनों बकरियाँ जिद्दी थीं और कोई भी पीछे हटने को तैयार नहीं थी। दोनों एक-दूसरे से भिड़ गईं और लड़ने लगीं। अंत में, दोनों बकरियाँ संतुलन खो बैठीं और नदी में गिर गईं। इस कहानी से हमें सीख मिलती है कि **जिद्द और अहंकार हमें मुसीबत में डाल सकता है। समझदारी और समझौता हमें परेशानियों से बचा सकता है।**
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