Cartoon banane की Best कहानियाँ – बच्चों के लिए 5 प्रेरणादायक Moral Stories"

हिंदी कहानियाँ - बच्चों के लिए

बच्चों के लिए लंबी हिंदी कहानियाँ

1...चतुर बंदर और मगरमच्छ

बहुत समय पहले की बात है, एक घना जंगल था जहाँ एक बड़ा जामुन का पेड़ नदी के किनारे खड़ा था। उस पेड़ पर एक चतुर बंदर रहता था। वह हर दिन उस पेड़ के मीठे जामुन खाता और पेड़ की शाखाओं पर झूलता। वह खुश था क्योंकि उसका घर सुंदर और सुरक्षित था। एक दिन, एक मगरमच्छ नदी से तैरता हुआ उस पेड़ के पास आया। वह बहुत थका हुआ और भूखा था। बंदर ने देखा कि मगरमच्छ परेशान है, तो उसने पेड़ से कुछ पके हुए जामुन नीचे गिरा दिए। मगरमच्छ ने जामुन खाए और बहुत खुश हुआ। उसने बंदर को धन्यवाद कहा और अगले दिन फिर वापस आया। धीरे-धीरे बंदर और मगरमच्छ अच्छे दोस्त बन गए। हर दिन बंदर जामुन फेंकता और मगरमच्छ उन्हें लेकर चला जाता। एक दिन मगरमच्छ ने कुछ जामुन अपनी पत्नी को भी खाने को दिए। पत्नी को जामुन बहुत स्वादिष्ट लगे। उसने लोभ में आकर कहा, “अगर बंदर इतने मीठे जामुन खाता है, तो उसका दिल कितना मीठा होगा! मैं उसका दिल खाना चाहती हूँ!” मगरमच्छ परेशान हो गया। लेकिन पत्नी के कहने पर वह बंदर के पास गया और बोला, “दोस्त, मेरी पत्नी तुमसे मिलना चाहती है। चलो मेरे साथ मेरे घर।” बंदर पहले तो डरा, फिर मान गया और मगरमच्छ की पीठ पर बैठकर नदी पार करने लगा। जैसे ही वे नदी के बीच में पहुँचे, मगरमच्छ बोला, “मुझे माफ करना दोस्त, मेरी पत्नी तुम्हारा दिल खाना चाहती है।” बंदर घबरा गया, पर वह बहुत समझदार था। उसने तुरंत कहा, “अरे! मैं तो दिल पेड़ पर ही छोड़ आया हूँ! मुझे वापस ले चलो, मैं दिल ले आता हूँ।” मगरमच्छ उसे वापस किनारे ले आया। बंदर फुर्ती से पेड़ पर चढ़ गया और बोला, “मूर्ख मगरमच्छ! क्या कोई दिल बाहर रखता है? तुम तो असली दोस्त बनने लायक ही नहीं थे!” मगरमच्छ शर्मिंदा होकर चुपचाप चला गया।
शिक्षा:संकट में चतुराई और धैर्य से काम लेने वाला ही सच्चा बुद्धिमान होता है।

2...नन्हा हाथी और उड़ने की चाह

बहुत समय पहले की बात है, एक बड़े जंगल में एक नन्हा हाथी रहता था। उसका नाम था गोलू। गोलू बहुत प्यारा और जिज्ञासु था, लेकिन उसके मन में एक अजीब-सी ख्वाहिश थी—उड़ने की। हर दिन वह आकाश में पक्षियों को उड़ते हुए देखता और सोचता, "काश मैं भी उड़ पाता।" वह पेड़ पर बैठे तोते, उड़ते कबूतर और ऊँचे आसमान में उड़ते चील को देखता और अपनी छोटी-सी सूँड़ हिलाकर कहता, "एक दिन मैं भी उड़ूँगा!" गोलू ने उड़ने की कई कोशिशें की: एक बार उसने पत्तों के पंख बनाकर ऊँचे टीले से छलांग लगाई, लेकिन धड़ाम से गिर पड़ा। एक दिन वह बड़ी पतंग से खुद को बाँधकर उड़ाने लगा, लेकिन पतंग फट गई और गोलू फिर ज़मीन पर आ गिरा। कभी वह उल्लू से उड़ने का मंत्र पूछता, कभी पेड़ पर चढ़कर उड़ने की कोशिश करता। सब जानवर उसका मज़ाक उड़ाते थे: "अरे गोलू! तुम हाथी हो, पक्षी नहीं!" गोलू उदास हो गया, लेकिन उसने हार नहीं मानी। एक दिन जंगल में एक बूढ़ा उल्लू आया। वह बहुत ज्ञानी था। उसने गोलू से पूछा, "तुम क्यों उड़ना चाहते हो, बेटे?" गोलू बोला, "क्योंकि उड़ने वालों को दुनिया ऊपर से दिखती है... मुझे भी देखना है जंगल का नज़ारा ऊपर से।" उल्लू मुस्कुराया और बोला, "हर किसी को उड़ने की ज़रूरत नहीं होती बेटा। अगर तुम अपने पैरों को पहचानो, तो बहुत दूर चल सकते हो। और अगर मदद करना चाहो, तो उड़ने वालों से ज़्यादा ऊँचाई पा सकते हो।" गोलू ने बात समझी नहीं, लेकिन सोचना शुरू कर दिया। कुछ दिन बाद, जंगल में भीषण आग लग गई। छोटे-छोटे जानवर डरकर इधर-उधर भागने लगे। उड़ने वाले पक्षी तो उड़कर बच गए, लेकिन ज़मीन पर रहने वाले जानवर फँस गए। उसी समय गोलू आया। उसकी लंबी सूँड़ और ताकतवर शरीर की मदद से वह झाड़ियों से जानवरों को बाहर निकालने लगा, बच्चों को अपनी पीठ पर बिठाकर सुरक्षित जगह पर पहुँचाने लगा। पानी लाकर आग बुझाने की कोशिश भी करता रहा। पूरा जंगल हैरान रह गया। जिसने उड़ना चाहा था, वो आज सबको ज़िंदा बचा रहा था। आग बुझने के बाद सभी जानवरों ने मिलकर कहा, "गोलू, तुम तो हमारे हीरो हो!" गोलू मुस्कुरा दिया, और पहली बार आकाश की ओर देखा... लेकिन इस बार उड़ने की ख्वाहिश नहीं थी, बल्कि खुद पर गर्व था।
शिक्षा: "हर किसी को उड़ना नहीं आता, लेकिन अगर हम अपनी ताकत पहचानें, तो ज़मीन पर भी आसमान छू सकते हैं।"

3...चतुर खरगोश और सोने का बीज

बहुत समय पहले की बात है, एक सुंदर जंगल में बबलू नाम का एक खरगोश रहता था। वह बहुत ही चतुर और मेहनती था। वह हर सुबह जल्दी उठता, अपने खेत की देखभाल करता और दिनभर नए-नए प्रयोग करता। उसके पास एक सपना था—वह ऐसा पौधा उगाना चाहता था जिसकी मदद से पूरे जंगल का भला हो सके। एक दिन बबलू को जंगल की एक पुरानी गुफा में चमकता हुआ सोने का बीज मिला। उसके साथ एक पुराना संदेश भी लिखा था: "यह बीज तभी फलेगा जब इसे ईमानदारी, धैर्य और दया से सींचा जाए।" बबलू बहुत खुश हुआ और बीज को अपने खेत में रोप दिया। लेकिन बीज था जादुई—वो आम पानी से नहीं उगता था। बबलू ने उसे: ईमानदारी से खुद ही खेत में लगाया, किसी से मदद लिए बिना दिखावा किए। धैर्य के साथ हर दिन उसका ध्यान रखा, बिना यह जाने कि कब पौधा निकलेगा। और दया से, वह खेत में आने वाले पक्षियों, कीड़ों और छोटे जानवरों को भी बीज के पास आने देता—वह उन्हें भगाता नहीं था। कई हफ्तों तक कुछ नहीं हुआ। पूरे जंगल ने उसका मज़ाक उड़ाया: "ये खरगोश तो पागल है, कोई बीज सोने का होता है क्या?" लेकिन बबलू न रुका। एक दिन अचानक बीज फूटा और एक सोने की चमकती बेल उगी, जिसकी पत्तियाँ भी गाने लगती थीं। उस बेल से निकलने वाला फल खाने से: जानवरों की बीमारी ठीक हो जाती थी, कमजोर जानवरों में ताकत आ जाती थी, और सबसे बढ़कर, बेल के पास जाते ही सबका दिल शांत और खुश हो जाता। अब पूरा जंगल वहाँ आने लगा। सबने बबलू से माफ़ी माँगी और कहा: "तुमने हमें सिखाया कि सच्चे मन से किया गया काम हमेशा फल देता है।" बबलू मुस्कुराया और बोला, "सोने का असली मतलब पैसे नहीं, बल्कि सोने जैसा दिल होना चाहिए।"
शिक्षा:ईमानदारी, धैर्य और दया — ये तीन बीज हों, तो हर सपना फलता है।

4...बोलने वाला पेड़

बहुत समय पहले की बात है, एक छोटे से गाँव के पास एक घना जंगल था। उस जंगल में एक बहुत ही बड़ा, बूढ़ा पेड़ था, जिसका नाम था वटू वृक्ष। लेकिन यह कोई साधारण पेड़ नहीं था—वह बोल सकता था। किंवदंती थी कि अगर कोई सच्चे मन से मदद माँगे, तो वटू वृक्ष उसे जवाब देता है। लेकिन सौ सालों से किसी को उसकी आवाज़ नहीं सुनाई दी थी। गाँव में एक बच्चा रहता था, नाम था चिंटू। वह बहुत जिज्ञासु और नेकदिल था। उसका सपना था कि वह अपने गाँव के लिए कुछ बड़ा करे—गाँव की गरीबी मिटा दे और सभी बच्चों को स्कूल भेजे। एक दिन गाँव में पानी की बहुत भारी कमी हो गई। कुएँ सूखने लगे, खेत बंजर हो गए। चिंटू बहुत दुखी था। उसने सोचा, "अगर कोई मदद कर सकता है, तो शायद वही पुराना पेड़ कर सके।" वह अकेला जंगल की ओर निकल पड़ा। कई घंटे चलने के बाद, वह वटू वृक्ष के पास पहुँचा। चिंटू ने हाथ जोड़कर कहा: "हे वटू बाबा! मैंने सुना है आप बोल सकते हैं। अगर ये सच है तो कृपया मेरी मदद कीजिए। मेरा गाँव प्यासा मर रहा है।" वृक्ष कुछ देर शांत रहा, फिर धीरे-धीरे उसकी शाखाएँ हिलने लगीं। एक गहरी, करुणामयी आवाज़ आई: "चिंटू... मैं सोया नहीं हूँ, बस मानवों की स्वार्थी बातें सुन-सुनकर चुप हो गया था। पर तेरी बात में सच्चाई है।" चिंटू की आँखें चमक उठीं। वृक्ष ने कहा: "मेरी जड़ों के नीचे एक प्राचीन जल-स्रोत है, जिसे बरसों पहले छुपा दिया गया था। अगर तुम और गाँववाले मिलकर मेरी जड़ों की देखभाल करो, वृक्ष लगाओ और जंगल को हरा-भरा करो, तो मैं वह जल-स्रोत तुम्हारे गाँव को दे दूँगा।" चिंटू ने वादा किया और गाँव लौटकर सबको सारी बात बताई। पहले तो लोगों ने उसका मज़ाक उड़ाया, पर जब उन्होंने उसकी सच्चाई और जुनून देखा, तो सब जुट गए। सप्ताहों तक सबने वृक्षों की देखभाल की, जंगल को साफ़ किया और वटू वृक्ष के चारों ओर नये पौधे लगाए। कुछ ही समय बाद, एक दिन अचानक भूमि फटी और वहाँ से मीठे जल का स्रोत फूट पड़ा! पूरा गाँव नाच उठा। गाँव हरा-भरा हो गया, खेतों में सोना उगने लगा और बच्चे स्कूल जाने लगे। वटू वृक्ष की आवाज़ अब सबको सुनाई देने लगी।
शिक्षा: "प्रकृति सुनती है, जब इंसान सच्चे मन से माँगता है और सेवा करता है।" "पेड़ों को बचाओ, वो बोलते हैं — सिर्फ़ सुनने वाला दिल चाहिए।"

5...जादुई क़लम

एक छोटे से कस्बे में एक गरीब लेकिन होशियार लड़का रहता था, जिसका नाम था आरव। उसे पढ़ाई का बहुत शौक था, लेकिन उसके पास न किताबें थीं, न अच्छी कॉपी और न ही कोई ढंग की क़लम। हर दिन वह स्कूल में उधार की चीज़ों से पढ़ता और टीचर की डाँट सुनता। पर उसने कभी हार नहीं मानी। एक दिन स्कूल से लौटते समय रास्ते में एक पुराना स्टेशनरी की दुकान दिखी, जिस पर लिखा था: "पुरानी चीज़ों में छिपे हैं नए चमत्कार।" जिज्ञासावश आरव दुकान में गया। वहाँ एक बूढ़े दुकानदार ने उसे देखा और मुस्कुरा कर कहा: "तुम वो हो जो हमेशा सच्चे दिल से कुछ बनाना चाहता है, है ना?" आरव चौंका, लेकिन सिर हिला दिया। बूढ़े दुकानदार ने उसे एक पुरानी दिखने वाली, स्याही वाली क़लम दी और कहा: "ये कोई आम क़लम नहीं है। इससे जो भी लिखा जाएगा, वह सच हो जाएगा — लेकिन शर्त यह है कि तुम उसे दूसरों के भले के लिए इस्तेमाल करोगे।" आरव ने आश्चर्य से क़लम ली और धन्यवाद कहकर घर आ गया। उस रात वह सोचने लगा, "क्या ये सच में जादुई है?" उसने कागज़ पर लिखा: "कल स्कूल में सब बच्चों को मुफ़्त किताबें मिलेंगी।" अगले दिन स्कूल पहुँचा तो देखा कि एक NGO आई हुई थी और हर बच्चे को नई किताबें और क़लम बाँट रही थी। आरव समझ गया — यह क़लम असली थी। अब वह हर रात किसी ज़रूरतमंद के लिए कुछ अच्छा लिखता: किसी गरीब की माँ की तबियत ठीक हो जाए, किसी दोस्त के पापा को नौकरी मिल जाए, किसी बूढ़े को घर मिल जाए। धीरे-धीरे पूरा कस्बा बदलने लगा — लोग खुश रहने लगे, स्कूल अच्छा हो गया, सड़कें साफ हो गईं। पर एक दिन आरव ने सोचा, "क्यों न मैं खुद के लिए भी कुछ लिखूं?" उसने लिखा: "मैं सबसे अमीर लड़का बन जाऊँ।" लेकिन जैसे ही उसने ये लिखा, क़लम से चिंगारी निकली और वह जल गई। एक आवाज़ आई: "जादू हमेशा दूसरों की भलाई में फलता-फूलता है। स्वार्थ इसे खत्म कर देता है।" आरव रो पड़ा, लेकिन फिर समझ गया कि असली जादू क़लम में नहीं, उसके दिल में था। अब वह बिना जादुई क़लम के भी हर किसी की मदद करने लगा — और धीरे-धीरे उसके अपने सपने भी पूरे होने लगे।
शिक्षा: "सच्चा जादू किसी चीज़ में नहीं, हमारे नेक इरादों में होता है।" "अगर दिल से दूसरों का भला सोचो, तो सारी कायनात तुम्हारी मदद करती है।"

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