कबीर के 10 श्रेष्ठ दोहे - हिंदी अर्थ सहित

10 नैतिक कहानियाँ और कबीर के दोहे

कबीर के दोहे

1. बुरा जो देखन मैं चला, बुरा न मिलिया कोय।
जो दिल खोजा आपना, मुझसे बुरा न कोय॥
अर्थ: सबसे बड़ा दोष अपने भीतर है।

2. साधु ऐसा चाहिए, जैसा सूप सुभाय।
सार-सार को गहि रहै, थोथा देई उड़ाय॥
अर्थ: अच्छाई ग्रहण करो, बुराई त्यागो।

3. काल करे सो आज कर, आज करे सो अब।
पल में परलय होएगी, बहुरि करेगा कब॥
अर्थ: समय का सदुपयोग करो।

4. पोथी पढ़ि पढ़ि जग मुआ, पंडित भया न कोय।
ढाई आखर प्रेम का, पढ़े सो पंडित होय॥
अर्थ: प्रेम ही सच्चा ज्ञान है।

5. धीरे-धीरे रे मना, धीरे सब कुछ होय।
माली सींचे सौ घड़ा, ऋतु आए फल होय॥
अर्थ: धैर्य से फल मिलता है।

6. तन को जोगी सब करे, मन को बिरला कोई।
सहजै सब bidhi पाइए, जे मन जोगी होय॥
अर्थ: सच्चा योगी मन से होता है।

7. दुख में सुमिरन सब करे, सुख में करे न कोय।
जो सुख में सुमिरन करे, तो दुख काहे को होय॥
अर्थ: सुख-दुख में ईश्वर को याद रखें।

8. माटी कहे कुम्हार से, तू क्या रौंदे मोहे।
एक दिन ऐसा आएगा, मैं रौंदूंगी तोहे॥
अर्थ: मृत्यु अटल है।

9. जो उपजे सो बिनसे, देखत न लागे बार।
कबीर ऐसा नहीं रहा, जैसै रहनि संसार॥
अर्थ: संसार नश्वर है।

10. गुरु गोविंद दोऊ खड़े, काके लागूं पाय।
बलिहारी गुरु आपने, गोविंद दियो मिलाय॥
अर्थ: गुरु के बिना भगवान भी नहीं मिलते।

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